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खाद्य उत्पादों से संबंधित भारत में अपना कारोबार शुरू करने वाले किसी भी व्यक्ति को खाद्य लाइसेंस प्राप्त करना होगा। आप निर्माता, ट्रांसपोर्टर, खुदरा विक्रेता, मार्केटर या वितरक हो सकते हैं, यह सभी के लिए लागू है। जो बाजार में इसे बेचने वाले व्यक्ति के लिए विनिर्माण कर रहा है, उसे हर किसी को एफएसएसएआई के तहत पंजीकरण करना होगा।
आप में से कुछ सोच रहे होंगे कि ‘मैं घर से व्यवसाय चलाता हूं और मेरे पास कोई बड़ा व्यवसाय नहीं है, मुझे एफएसएसएआई लाइसेंस क्यों प्राप्त करना चाहिए?’ उस स्थिति में, आपको अभी भी एफएसएसएआई के तहत पंजीकरण करने की आवश्यकता है, हालांकि आपको केवल मूल पंजीकरण की आवश्यकता होगी।
छोटे कारोबारियों को अब फूड लाइसेंस बनवाने के लिए कार्यालय और अधिकारियों के चक्कर नहीं काटने होंगे।
एफएसएसएआई की नई एडवाइजरी के अनुसार अब इन व्यापारियों के लाइसेंस जनाधार केंद्रों पर बनेंगे। खास बात यह है कि आवेदन करते ही हाथों-हाथ उन्हें रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भी मिल जाएगा। 30 सितंबर तक लाइसेंस बनवाने वालों को प्रोसेसिंग फीस भी नहीं देनी होगी।
खाद्य पदार्थ तैयार करने और बेचने वालों को फूड सेफ्टी का लाइसेंस बनवाना अनिवार्य होता है। इसमें सामान्य ठेली लगाने वालों से लेकर बड़े होटल और उद्योग तक शामिल होते हैं। खाद्य सुरक्षा अभिकरण के लाइसेंस के बिना खाद्य पदार्थों की बिक्री नहीं की जा सकती है।
अभी तक यह लाइसेंस जिला अभिहीत अधिकारी के स्तर से जारी किए जाते थे। इसके लिए व्यापारियों को कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते थे। साथ ही फूड इंस्पेक्टर की खुशामद भी करनी पड़ती थी। लेकिन अब फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड ऑथिरिटी ऑफ इंडिया ने सालाना 12 लाख से कम टर्नओवर वालों को राहत दी है।
ऑथिरिटी की नई एडवाइजरी के अनुसार सालाना 12 लाख से कम टर्नओवर वाले व्यापारी देवभूमि जनसेवा केंद्र (कॉमन सर्विस सेंटर) पर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के कुछ मिनट बाद ही उन्हें सर्टिफिकेट मिल जाएगा। इसकी एक प्रति ऑनलाइन खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण के पास पहुंच जाएगी।
ऐसे में उस पर किसी भी तरह की आपत्ति होने पर अभिकरण अगले 30 दिनों में जांच कर कार्रवाई कर सकेगा। 30 सितंबर तक पंजीकरण करने वाले व्यापारियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
तीन हजार जनाधार केंद्र
खाद्य सुरक्षा अभिकरण के अनुसार प्रदेश में तीन हजार जनाधार केंद्रों का संचालन हो रहा है। यहां लोगों के तमाम तरह के प्रमाण पत्र तैयार किए जाते हैं। इन केंद्रों का संचालन राज्य सरकार की ओर से किया जाता है।
बड़े व्यापारी भी होंगे शामिल
भविष्य में बड़े व्यापारियों और उद्योगों को भी ऑनलाइन योजना में जोड़ा जाएगा। शुरूआत में केवल छोटे व्यापारियों को ही इसका लाभ मिलेगा। अभी आवेदन के बाद फूड इंस्पेक्टर जांच रिपोर्ट देते हैं, जिसके आधार पर लाइसेंस जारी होता है।
अब व्यापारियों को लाइसेंस के लिए चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। हाथों-हाथ उनका पंजीकरण हो सकेगा और लाइसेंस तैयार हो जाएगा। इससे उनका समय और पैसा दोनों बचेगा।
एफएसएसएआई लाइसेंस क्या है ?
भारत की खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) लाइसेंस भारत में अपने खाद्य व्यापार के संचालन के लिए निर्माताओं, खुदरा विक्रेताओं, वितरकों, ट्रांसपोर्टरों को प्रदान किया गया लाइसेंस है। इस लाइसेंस को प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सभी खाद्य व्यापारों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है।सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा की सुरक्षा के लिए एफएसएसएआई लाइसेंस अनिवार्य कर दिया गया था। मिल्केटेड भोजन के दिन प्रति दिन बढ़ते हुए इस कदम को सभी लोगों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए लिया गया था। यह केवल एफएसएसएआई लाइसेंस के कारण है कि खाद्य उत्पादों को गुणवत्ता जांच से गुजरना पड़ता है।When to apply for FSSAI License?- एफएसएसएआई लाइसेंस का कब आवेदन करें?
खाद्य उत्पादों से संबंधित भारत में अपना कारोबार शुरू करने वाले किसी भी व्यक्ति को खाद्य लाइसेंस प्राप्त करना होगा। आप निर्माता, ट्रांसपोर्टर, खुदरा विक्रेता, मार्केटर या वितरक हो सकते हैं, यह सभी के लिए लागू है। जो बाजार में इसे बेचने वाले व्यक्ति के लिए विनिर्माण कर रहा है, उसे हर किसी को एफएसएसएआई के तहत पंजीकरण करना होगा।
Small food business from home also Need FSSAI license?-घर से छोटे भोजन व्यवसाय को एफएसएसएआई लाइसेंस की आवश्यकता है?
आप में से कुछ सोच रहे होंगे कि ‘मैं घर से व्यवसाय चलाता हूं और मेरे पास कोई बड़ा व्यवसाय नहीं है, मुझे एफएसएसएआई लाइसेंस क्यों प्राप्त करना चाहिए?’ उस स्थिति में, आपको अभी भी एफएसएसएआई के तहत पंजीकरण करने की आवश्यकता है, हालांकि आपको केवल मूल पंजीकरण की आवश्यकता होगी।
छोटे कारोबारियों को अब फूड लाइसेंस बनवाने के लिए कार्यालय और अधिकारियों के चक्कर नहीं काटने होंगे।
एफएसएसएआई की नई एडवाइजरी के अनुसार अब इन व्यापारियों के लाइसेंस जनाधार केंद्रों पर बनेंगे। खास बात यह है कि आवेदन करते ही हाथों-हाथ उन्हें रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भी मिल जाएगा। 30 सितंबर तक लाइसेंस बनवाने वालों को प्रोसेसिंग फीस भी नहीं देनी होगी।
खाद्य पदार्थ तैयार करने और बेचने वालों को फूड सेफ्टी का लाइसेंस बनवाना अनिवार्य होता है। इसमें सामान्य ठेली लगाने वालों से लेकर बड़े होटल और उद्योग तक शामिल होते हैं। खाद्य सुरक्षा अभिकरण के लाइसेंस के बिना खाद्य पदार्थों की बिक्री नहीं की जा सकती है।
अभी तक यह लाइसेंस जिला अभिहीत अधिकारी के स्तर से जारी किए जाते थे। इसके लिए व्यापारियों को कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते थे। साथ ही फूड इंस्पेक्टर की खुशामद भी करनी पड़ती थी। लेकिन अब फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड ऑथिरिटी ऑफ इंडिया ने सालाना 12 लाख से कम टर्नओवर वालों को राहत दी है।
ऑथिरिटी की नई एडवाइजरी के अनुसार सालाना 12 लाख से कम टर्नओवर वाले व्यापारी देवभूमि जनसेवा केंद्र (कॉमन सर्विस सेंटर) पर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के कुछ मिनट बाद ही उन्हें सर्टिफिकेट मिल जाएगा। इसकी एक प्रति ऑनलाइन खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण के पास पहुंच जाएगी।
ऐसे में उस पर किसी भी तरह की आपत्ति होने पर अभिकरण अगले 30 दिनों में जांच कर कार्रवाई कर सकेगा। 30 सितंबर तक पंजीकरण करने वाले व्यापारियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
तीन हजार जनाधार केंद्र
खाद्य सुरक्षा अभिकरण के अनुसार प्रदेश में तीन हजार जनाधार केंद्रों का संचालन हो रहा है। यहां लोगों के तमाम तरह के प्रमाण पत्र तैयार किए जाते हैं। इन केंद्रों का संचालन राज्य सरकार की ओर से किया जाता है।
बड़े व्यापारी भी होंगे शामिल
भविष्य में बड़े व्यापारियों और उद्योगों को भी ऑनलाइन योजना में जोड़ा जाएगा। शुरूआत में केवल छोटे व्यापारियों को ही इसका लाभ मिलेगा। अभी आवेदन के बाद फूड इंस्पेक्टर जांच रिपोर्ट देते हैं, जिसके आधार पर लाइसेंस जारी होता है।
अब व्यापारियों को लाइसेंस के लिए चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। हाथों-हाथ उनका पंजीकरण हो सकेगा और लाइसेंस तैयार हो जाएगा। इससे उनका समय और पैसा दोनों बचेगा।
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